तुम्बाड, 2018 में रिलीज़ हुई एक उत्कृष्ट भारतीय फिल्म है, जिसने अपनी अनूठी कहानी, भव्य दृश्य और रहस्यमयी वातावरण के साथ दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी। फिल्म का फैन-बेस आज भी मौजूद है। 30 अगस्त को इस फिल्म को फिर से रिलीज़ किया जाने वाला है और आप सभी फिर से तुम्बाड की कहानी को बड़े पर्दे पर देख सकते हैं।
फिल्म की कहानी 20वीं सदी के शुरुआती वर्षों में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव, तुम्बाड के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें एक प्राचीन देवता(हस्तर), एक शापित खजाना और एक ऐसे परिवार की कहानी है जो इस खजाने की खोज में पीढ़ियों से लगा हुआ है। तुम्बाड की विशिष्टता इसकी दृश्यता(cinematography) में है, जहां बरसात, मिट्टी और गहरे लाल रंग के माध्यम से भय और रहस्य का माहौल तैयार किया गया है।
इस फिल्म को दर्शकों और आलोचकों दोनों से सराहना मिली थी, खासकर इसके प्रोडक्शन डिजाइन, सिनेमैटोग्राफी, और साउंडट्रैक के लिए। निर्देशक राही अनिल बर्वे और आदर्श प्रसाद ने जिस निष्ठा से फिल्म की हर बारीकी पर काम किया, वह आज भी प्रेरणादायक है। इस फिल्म की सफलता का एक और कारण इसकी कहानी का गहराई से जुड़े भारतीय पौराणिक कथाओं और लोककथाओं से प्रेरित होना है।
तुम्बाड का फिर से रिलीज़ होना उन नए दर्शकों के लिए एक अवसर है जिन्होंने पहले इस उत्कृष्ट कृति को नहीं देखा।